उज्जैन को दुनिया की पहली वैदिक घड़ी

उज्जैन टाइम्स ब्यूरो
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उज्जैन को मिलेगी दुनिया की पहली वैदिक घड़ी


इसका लोकार्पण आगामी 1 MARCH  2024 के दिन किया जाएगा।


मध्य प्रदेश के उज्जैन, महाकाल की नगरी, जल्द ही दुनिया की पहली वैदिक घड़ी का दावा करेगी, जो सूर्य की स्थिति के साथ समन्वयित होगी। 


घड़ी की खास बात यह है कि घड़ी ग्रीनविच (24 घंटे समय) पद्दति और हिंदू कालगणना के अनुसार 30 घंटे की समय पद्दति को एकसाथ दर्शाएगी.

 

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि, उज्जैन के वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 7 नवंबर 2022 को उज्जैन में 300 साल पुरानी जीवाजी वेधशाला की आधारशिला रखी थी। वैदिक घड़ी की लागत करीब 1 करोड़ 62 लाख रूपए अनुमानित हैं।




वैदिक घड़ी इंटरनेट (Internet) और (GPS) जीपीएस से जुड़ी होगी, जिसके कारण कहीं भी इसका उपयोग किया जा सकेगा।


इस घड़ी को खनऊ की संस्था आरोहण के 
आरोह श्रीवास्तव द्वारा डिजिटल तकनीक से बनाया जा रहा है। उक्त घड़ी में परंपरागत घड़ियों के जैसे कल पुर्जे नहीं रहेंगे। 


कहा गया है कि लोग घड़ी के बैकग्राउंड में हर घंटे तस्वीर बदलते देख पाएंगे। एक वक्त में द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर, नवग्रह, राशि चक्र दिखाई देंगे तो दूसरे वक्त देश-दुनिया में होने वाले सबसे खूबसूरत सूर्यास्त, सूर्य ग्रहण के नजारे दिखाई देंगे।


इस प्रोजेक्ट के जरिए लोग वैदिक काल गणना से परिचित हो सकेंगे. राज्य सरकार ने इस मेगा परियोजना के लिए 1.62 करोड़ रुपये आवंटित किए थे क्योंकि यह उज्जैन के प्राचीन गौरव को बहाल करने के लिए काम कर रहा है।


विक्रमादित्य वैदिक घड़ी को 24 मुहूर्त (घंटे) में विभाजित किया जाएगा। विश्व की पहली वैदिक घड़ी सूर्योदय के आधार पर समय की गणना करेगी। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को भारतीय समय गणना से परिचित कराना है।


घड़ी के लिए विक्रमादित्य वैदिक घड़ी मोबाइल एप (Mobile App) जारी किया जाएगा।


वैदिक घड़ी का प्रयोग विक्रम पंचांग, विक्रम संवत माह, ग्रह स्थिति, योग, भद्रा स्थिति, चंद्र स्थिति, त्योहार, शुभ समय, नक्षत्र, जयंती, व्रत, त्योहार, चौघड़िया, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण, प्रमुख के लिए होगा। छुट्टियाँ, आकाशीय ग्रह, नक्षत्र और धूमकेतु आदि।


उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने विक्रम संवत् की शुरुआत की थी


बता दें कि उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने विक्रम संवत् की शुरुआत की थी।  सम्राट विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक डॉ. श्रीराम ने विश्वास जताया कि वैदिक घड़ी लगने के बाद उज्जैन का प्राचीन गौरव लौटेगा और दुनिया के इतिहास में फिर से इस नगरी का नाम दर्ज होगा उज्जैन के बाद देश के दूसरे प्रमुख शहरों में भी वैदिक घड़ी लगाने की योजना बनाई जाएगी।


हर अंक  का रहस्य


वैदिक घड़ी के हर अंक में हिंदू धर्म से जुड़े कई रहस्य छिपे हैं। जैसे..........


  • 12 बजने के स्थान पर आदित्या: लिखा है, जिसका मतलब है कि सूर्य 12 प्रकार के होते हैं- अंशुमान, अर्यमन, इंद्र, त्वष्टा, धातु, पर्जन्य, पूषा, भग, मित्र, वरुण, विवस्वान और विष्णु।
  • 1:00 के स्थान पर ब्रह्म लिखा है, जो बताता है कि ब्रह्म एक है।
  • 2:00 की जगह अश्विनौ, जिसका अर्थ है कि अश्विनी कुमार दो हैं- नासत्य और द्स्त्र।
  • 3:00 की जगह त्रिगुणा: लिखा है, जो तीन गुणों सतो, रजो और तमो को निर्दिष्ट करता है।
  • 4:00 के स्थान पर चतुर्वेदा: यह बताता है कि वेद चार हैं।
  • 5:00 बजे पंचप्राणा: का अर्थ है कि प्राण पांच प्रकार के हैं- अपान, समान, प्राण, उदान और व्यान।
  • 6:00 के स्थान पर षड्सा: लिखने का मतलब है कि रस 6 प्रकार के होते हैं- मधुर, अमल, लवण, कटु, तिक्त और कसाय।
  • 7:00 बजे सप्तर्षय: यानी ऋषि सात हैं- कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ।
  • 8:00 के स्थान पर अष्ट सिद्धिय: लिखने का मतलब है कि सिद्धियां आठ प्रकार की होती हैं। ये हैं- अणिमा, महिमा, लघिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, इशित्व और वशित्व।
  • 9:00 के स्थान पर नवद्रव्याणि अभियान का तात्पर्य है निधियां 9 हैं- पद्म, महापद्म, नील, शंख, मुकुंद, नंद, मकर, कच्छप, खर्व।
  • 10:00 की जगह दशदिशः 10 दिशाओं की ओर इंगित करता है।
  • 11:00 के स्थान पर रुद्रा: लिखा है, जो बताता है कि रुद्र 11 हैं- कपाली, पिंगल, भीम, विरुपाक्ष, विलोहित, शास्ता, अजपाद, अहिर्बुध्न्य, शम्भु, चण्ड और भव।


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