इंदौर का गौरव "गेर" अब 95+ साल का हो गया है। यह परंपरा 1927 में शुरू हुई, जब शहर के अधिपति, होलकर
राजवंश के महाराजा यशवंत राव-द्वितीय ने पहली बार इसका आयोजन किया। आजादी के बाद, राजा
और महाराजा इतिहास और लोककथाओं का हिस्सा बन गए, लेकिन उनकी अनूठी परंपरा समय की कसौटी
पर खरी उतरी और इंदौरियों के सौजन्य से फलती-फूलती रही।
इंदौर है नंबर 1
बोलो
भिया है कोई तोड़,
गेर में हुई अपनों
की जोड़, इंदौरवाले हो गए हैं
भेले , होली खेले कलाई
मरोड़
यहां ना होती तोड़ फोड़, ना ही होती दुनिया की होड़ , राजबाड़ा पे रंगपंचमी की, बोलो भिया है कोई होड़ !
इंदौर में रंगपंचमी
उत्सव मनाने का अपना ही अंदाज है. इस अवसर पर फाग यात्रा या होली जुलूस निकाला जाता
है जिसे 'गेर' कहा जाता है। यह होल्कर-युग की परंपरा है जिसमें देश भर से लोग इंदौर
के ऐतिहासिक राजवाड़ा पहुंचते हैं और उत्सव में शामिल होते हैं। यहां इसे होली (दुलेंडी)
की तरह मनाया जाता है, लेकिन रंगों को पानी में मिलाकर दूसरों पर डाला जाता है।
गौरतलब है कि,
इंदौर शहर प्रशासन ने 2025 में संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन
(यूनेस्को) की विरासत की सूची में 'गेर' को सूचीबद्ध कराने के लिए प्रक्रिया शुरू कर
दी है।
पिछले 95+ वर्षों
में, गेर पूरे शहर के लिए एक प्रतीक बन गया है क्योंकि निवासी एक साथ रंग का त्योहार
मनाने के लिए एक विशेष क्षेत्र में आते हैं। गेर और उसके बाद रंगपंचमी के लिए आने वाले
लोगों की संख्या लाखों में है और शहर की आबादी बढ़ने के साथ-साथ हर साल इस परंपरा में
नए चेहरे शामिल हो रहे हैं।
इंदौर प्रशासन
द्वारा प्रत्येक रंगपंचमी पर बड़े स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जो दुलेंडी
या होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है, लेकिन यह न केवल होली के सामान्य रंग हैं जो
आसपास के वातावरण को रंगीन करते हैं, बल्कि संगीत का रंग भी हवा में भर जाता है। हजारों-लाखों
लोग ऐतिहासिक राजवाड़ा महल के सामने इकट्ठा होते हैं और अलग-अलग रंगों से होली खेलते
हैं।
स्थानीय नगर
निगम पुराने इंदौर की मुख्य सड़कों पर रंग मिश्रित पानी का छिड़काव करता है। पहले वे
इस काम के लिए फायर ब्रिगेड की गाड़ियों का इस्तेमाल करते थे. मध्य क्षेत्र में रंगपंचमी
की खुशी छा जाती है जब लोग मस्ती के रंग में रंगे नजर आते हैं. आयोजन में बड़ी संख्या
में महिलाएं और पुरुष शामिल हुए। इस त्योहार का आनंद लेने के लिए कई लोग परिवार के
साथ आते हैं। यह कार्यक्रम विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों को सुरक्षित वातावरण प्रदान
करने के लिए कड़ी सुरक्षा के बीच आयोजित किया जाता है। रंगारंग उत्सव को कैद करने और
जुलूस के दौरान निगरानी के लिए गेर के रास्ते पर ड्रोन कैमरे उड़ते रहते हैं।
रंगपंचमी एक
सदियों पुराना त्योहार है, जो होलकर शासनकाल के दौरान मनाया जाता था और आज भी मनाया
जाता है, जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से लोग भाग लेते हैं और रंगीन त्योहार का आनंद
लेते हैं।
मतवालों की
टोली को संस्था के बैनर तले निकालने के सिलसिले को इस बार 75 साल पूरे हो रहे हैं।
सबसे पहले शुरू हुई टोरी कार्नर की गेर धर्म से जोड़ने के साथ पारीवारिक स्वरूप देने
के साथ महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए राधाकृष्ण फाग यात्रा 26 वर्ष पहले शुरू
की गई।
गौरतलब है कि
इंदौर की गेर दुनिया में मशहूर है. इंदौर जैसी रंग पंचमी पूरी दुनिया में कही नहीं
मनाई जाती. 75 साल पुरानी इस परंपरा का आज भी निर्वहन होगा. दुनिया के कोने-कोने से
लोग इंदौर पहुंचने लगे हैं. दुबई, सिंगापुर, मलेशिया, यूएई, अमेरिका, लंदन से एनआरआई
इंदौर आ चुके हैं. इस बार विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में गेर में शामिल होंगे. इसके
अलावा महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, उत्तर प्रदेश से भी बड़ी संख्या में लोग
यहां आए हैं.
इंदौर की गेर
को यूनेस्को विश्व धरोहर की सूची में शामिल करने के लिए, इस बार आयोजन में कई परिवर्तन
किए जा रहे हैं. 2024 की गेर को प्री बोर्ड एग्जाम की तरह लिया है, ताकि 2025 में जब
यूनेस्को की टीम आए तो सारी व्यवस्थाएं उनके मापदंडों के अनुरूप हों.
Picture Courtesy : अनेक रंगों में भी सबसे प्यारा तिरंगा। 2024 की गेर का यह सुंदर दृश्य क्लिक किया है जिला पंचायत के CEO एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी श्री सिद्धार्थ जैन. Date 30th March 2024.