डंकी का डंक : फ़िल्म समीक्षा

उज्जैन टाइम्स ब्यूरो
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डंकी का डंक


फिल्म परिचय


डंकी 2023 की भारतीय हिंदी भाषीय कॉमेडी ड्रामा फिल्म है, जो राजकुमार हिरानी द्वारा सह-लिखित और निर्देशित है।


यह रेड चिलीज एंटरटेनमेंट की गौरी खान और गौरव वर्मा द्वारा निर्मित है। फिल्म में शाहरुख खान, तापसी पन्नू और बोमन ईरानी हैं।


यह फिल्म "डंकी उड़ान" के अवैध उपयोग पर आधारित है। यह 21 दिसंबर 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई है। यह 21 दिसंबर 2023 को क्रिसमस के मौके पर रिलीज हुई है। इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लंदन, बुडापेस्ट, जेद्दा और नियोम सहित स्थानों पर शूट किया गया है। फिल्म का पहला टीजर "ड्रॉप 1" के नाम से 2 नवम्बर को ख़ान के जन्मदिन के मौके पर रिलीज़ किया गया। फिल्म का ट्रेलर 5 दिसम्बर को "ड्रॉप 4" के नाम से आया।


फ़िल्म समीक्षा नीरज बधवार द्वारा


  • डंकी एक Emotional फिल्म है। फिल्म ख़त्म होने पर आपको साढ़े तीन सौ रुपए बर्बाद होने पर रोना होता है।
  • डंकी में इमोशन तो है मगर उन emotions में मेरी सेंटर टेबल पर रखे फूलों से ज़्यादा  प्लास्टिक हैं
  •  फिल्म जब-जब हंसाती है तो तब-तब आपको बहुत ज़ोर से रोना आता है
  •  फिल्म जब-जब रुलाती है तब-तब आपकी हंसी छूट जाती है
  •  फिल्म में किरदार तो बहुत हैं मगर वो सारे आपके फेसबुक फ्रेंड्स की तरह हैं। वो कौन हैं, क्या हैं और क्यों हैं, आपको आखिर तक पता नहीं लगता।
  •  शाहरुख खान हर उस सीन में बहुत अच्छे लगे हैं। खासतौर पर उन सीन्स में जिनमें वो नहीं दिखे।
  •  फिल्म में इतने मसाले हैं ऐसा लगता है कि वो MDH मसाले वाले अंकल धर्मपाल गुलाटी की याद में बनाई गई है
  •  फिल्म के किरदार पंजाब के हैं मगर ऐसी पंजाबी दुनिया के किसी टापू में बोली जाती है ये आज दुनिया लिए रहस्य है
  •  एक रहस्य ये भी है कि तापसी 25 साल इंग्लैंड में रही मगर एक बार भी अपने मां-बाप को क्यों नहीं देख पाई?...क्या उसे मोतियाबिंद हो गया था या इंग्लैंड में WhatsApp Video Call Allowed नहीं?
  •  उम्मीद थी कि इस फिल्म के साथ शाहरुख इस साल Hits की हैट्रिक लगा देंगे मगर इम्तियाज़ अली, आनंद एल राय के बाद राजकुमार हिरानी के साथ उन्होने बड़े डायरेक्टर्स को फ्लॉप कराने की हैट्रिक लगा दी। और ये हैट्रिक वैसी ही है जैसे बॉलर का दस ओवर में सौ रन खाकर शतक लगा लेना।
  • बाकी फिल्म में मुझे सबसे ज़्यादा ईर्ष्या विक्की कौशल के किरदार से हुई जो इंटरवल से पहले ही मर जाता है और उसे आगे की फिल्म देखनी नहीं पड़ती।


नीरज बधवार  का परिचय 


राजस्थान के श्रीगंगानगर में पले-बढ़े नीरज बधवार ने कॉलेज खत्म होने तक जिंदगी में सिर्फ तीन ही काम किएटी.वी. देखना, क्रिकेट खेलना और देर तक सोना। ग्रेजुएट होते ही उन्हें समझ गया कि क्रिकेटर मैं बन नहीं सकता, सोने में कॅरियर बनाया नहीं जा सकता, बचा टी.वी., जो देखा तो बहुत था, मगर उसमें दिखने की तमन्ना बाकी थी। यही तमन्ना उन्हें दिल्ली ले आई। जर्नलिज्म का कोर्स किया और छुट-पुट नौकरियों में शोषण करवाने के बाद वो टी.वी. एंकर हो गए। एंकर बन परदे पर दिखने का शौक पूरा किया तो लिखने का शौक पैदा हो गया। हिम्मत जुटा एक रचना अखबार में भेजी। उनके सौभाग्य और पाठकों के दुर्भाग्य से उसे छाप दिया गया। इसके बाद तो उनका दु:स्साहस बढ़ा और एक-एक कर उन्होंने कई अखबारों में रायता फैलाना शुरू कर दिया। हिंदी हास्य-व्यंग्य की जिस दुर्गति के लिए जानकार अखबारी कॉलमों को जिम्मेदार मानते हैं, उसमें ये अपनी महती भूमिका पिछले आठ साल से निभा रहे हैं।