पद्म सम्मान : वापसी जैसी कोई बात नहीं

उज्जैन टाइम्स ब्यूरो
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पद्म सम्मान में वापसी जैसी कोई बात नहीं है।


ये सम्मान गृह मंत्रालय की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किए जाते हैं।


पद्म पुरस्कार भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक है जिसकी घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर की जाती है।


पुरस्कार तीन श्रेणियों में दिए जाते हैं



  • पद्म विभूषण (असाधारण और विशिष्ट सेवा के लिए)
  • पद्म भूषण (उच्च क्रम की विशिष्ट सेवा)
  • पद्म श्री (प्रतिष्ठित सेवा)


यह पुरस्कार गतिविधियों या विषयों के उन सभी क्षेत्रों में उपलब्धियों को मान्यता देना चाहता है जहां सार्वजनिक सेवा का एक तत्व शामिल है।



पद्म पुरस्कार पद्म पुरस्कार समिति द्वारा की गई सिफारिशों पर प्रदान किए जाते हैं, जिसका गठन हर साल प्रधान मंत्री द्वारा किया जाता है। नामांकन प्रक्रिया जनता के लिए खुली है। यहां तक कि स्व-नामांकन भी किया जा सकता है। जाति, व्यवसाय, पद या लिंग के भेदभाव के बिना सभी व्यक्ति इन पुरस्कारों के लिए पात्र हैं। हालाँकि, डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को छोड़कर, PSU के साथ काम करने वाले सरकारी कर्मचारी इन पुरस्कारों के लिए पात्र नहीं हैं।

 

पद्मश्री लौटाने का पहलवान बजरंग पूनिया का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण है। हालांकि नियम कहते हैं कि पद्म सम्मान में वापसी जैसा कोई प्रावधान नहीं है। इन्हें वापस नहीं किया जा सकता।


इससे पहले भी कई विशिष्ट व्यक्तियों ने विरोधस्वरूप अपने पद्म सम्मानों को वापस करने का निर्णय किया। लेकिन पद्म सम्मान में वापसी जैसी कोई बात नहीं है। ये सम्मान गृह मंत्रालय की अनुशंसा पर राष्ट्रपति द्वारा प्रदान किए जाते हैं।


आज टाइम्स ऑफ इंडिया के समाचार के अनुसार पद्म सम्मानों का रजिस्टर होता है जिसमें सम्मान मिलने वालों के कहने पर नाम हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। पद्म सम्मान पाने वालों का नाम भारतीय गजट में प्रकाशित होता है। यानी एक बार सम्मान मिला तो आजीवन रहता है। यहां तक कि मृत्य पश्चात भी व्यक्ति पद्म सम्मानित ही कहा जाएगा। 

 

हां। यह अवश्य है कि अगर राष्ट्रपति चाहें तो वे किसी व्यक्ति को दिए पद्म सम्मान को बाद में रद्द कर सकती हैं।


ऐसा कई बार हुआ है जब राजनीतिक या अन्य कारणों से विरोधस्वरूप पद्म सम्मान वापस करने की घोषणा हुई है। लेकिन ऐसी घोषणाएं केवल कागजों पर ही सीमित रह जाती है क्योंकि रिकॉर्ड से कभी नाम नहीं हटता।


पद्म सम्मान देने से पहले व्यक्ति की पृष्ठभूमि की छानबीन होती है। संबधित व्यक्ति की रजामंदी भी ली जाती है।


आपको याद होगा कुछ ऐसे मामले भी हुए जब कुछ लोगों ने सरकार की पद्म सम्मान की पेशकश को ठुकरा दिया। लेकिन एक बार जब मिल जाता है तो हमेशा के लिए रहता है।


राष्ट्रपति को पत्र लिखने के बाद भी नहीं हटा नाम


बता दें कि पद्म पुरस्कारों की लौटाने वालों की सूची में पंजाब के पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल और पूर्व केंद्रीय मंत्री एसएस ढींडसा भी शामिल हैं। उन्होंने 2020 में राष्ट्रपति को लिखे पत्र में कहा था कि वे 3 कृषि कानूनों के खिलाफ हैं और किसानों के साथ एकजुटता दिखाते हुए पुरस्कार वापस कर रहे हैं। इसके बावजूद उनका नाम आज तक भी पद्म पुरस्कार विजेताओं की लिस्‍ट में है।

 

https://www.padmaawards.gov.in/padma_home.aspx

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